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Shrey Arya

Others

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Shrey Arya

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बेटी

बेटी

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एक नन्ही सी कली थी वो मीठी सी फली थी वो,

छोटी मुस्कान रखती थी और दिल की भली थी वो,

दुनिया देखा भी न उसने पर बदलाव की कड़ी थी वो,

बख्तर में डाल कड़ियों को गुम सी हुई एक दिन

टोह की तो पता चला कि कोख़ में ही मरी थी वो।।


ज़माने के मुहाने पर थी और अन्दर से कड़ी थी वो

अनजान कहीं हकीकत से और उत्साह से भरी थी वो

डोली तक के सपने देखे थे पर गोद तक न चली थी वो

टोह की तो पता चला कि कोख़ में ही मरी थी वो।।


गलियारों से गुजर कर खलिहानों से निकलना था उसे

अनजान अस्तित्व से वो लहरों से कहीं लड़ना था उसे

इस समाज को हमदर्द मान इल्लत में फंसी थी वो

टोह की तो पता चला की कोख़ में ही मरी थी वो।।



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