बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ।
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ।
मत मिटाओ कोख आज तुम, इस बेटी को भी आने दो।
इस दुनिया में आकर अपने ऊंचे सपने सजाने दो।।
क्यों बनते हो अत्याचारी, मिटा के नन्ही जान को।
जो दो कुल का मान बढ़ाती वही सहे अपमान को ?
न जानें क्यों रीत बनी ये?विवाह बेटी का जरूरी है।
डर-डर के घुट-घुट के जीना, बेटी की मजबूरी है।।
इन्हें बढ़ने का अवसर मिले तो, ये अंतरिक्ष चढ़ जाती हैं।
चुनौती न दो बेटी को क्योंकि, ये वीरांगना बन जाती हैं।।
चंद्रमा को चंदा मामा, आज भी सभी बुलाते हैं।
रीतू करिधल की चाहत चंदा पर, चंद्रयान पहुंचती है।।
बिन बेटी के कैसे होती, दुनिया आज बताओ?
पाल न सको अगर बेटी को, बेटी को न ही मिटाओ।।
अगर कुछ कर सको तो जग में बात फैलाओ।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी को आगे बढ़ाओ।।
उत्तम समाज हो आज हमारा, बेटी भी एक सहारा हो।
बेटी के बिन जग सुना है, जानता जग सारा हो।।
दहेज की धधगती आग को, मिलकर हमको बुझाना है।
बेटी को बचाना है, बेटी को पढ़ाना है।।
