बेटी हूँ तेरी
बेटी हूँ तेरी
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कुछ एहसास बड़े ही खास होते हैं
जैसे ......
जिंदगी की जंग में किसी अपने का साथ होना
किसी टूटी हुई डोर का यूँ ही अचानक से जुड़ जाना
एक ऐसा ही खास एहसास होता है...
माँ की गैर मौजूदगी में किसी माँ जैसे का होना
हॉ वो प्यारा सा एहसास है, मौसी का होना
आपका वो हमे बचपन मे डांट लगाना
हमारी हर नासमझी को यूँ हस कर माफ़ कर देना
जिंदगी की हर एक जंग में हमारी ढाल बनकर खड़े हो जाना,
हमारी हर मुश्किल को आसान कर देना
हमे हर बार बेटा.. बेटा.. कहकर बुलाना
ऐसे ही कुछ एहसासों को हम लफ़्ज़ों से बयां नहीं कर पाते,
उनहे कागज़ का सहारा लेना पड़ता है
ये खूबसूरत एहसास, मैं एक नहीं हज़ार बार जीना चाहूंगी
मौसी, मैं बेटी हूँ तेरी, इस जन्म में ही नहीं हर जन्म मे तेरी बेटी बनना चाहूंगी ।