#बदल जाता हूं मैं#
#बदल जाता हूं मैं#
सोचता हूँ बदल जाऊँ ,
नहीं करूँ परवाह किसी की ,
नहीं करूँ उम्मीद किसी की,
नहीं करूँ बात किसी की,
चलो फिर आज एक बार और सोच लेता हूँ ।
कुछ बातें कही थी लोगो ने भी,
कुछ बातें सुनी थी मैंने भी ,
न जाने कब से शुरू हुआ ये ,
न जाने कब खत्म होगा ।
पहले बहुत खिलखिलाता था मैं ,हाँ कोई शक नहीं बात- बात पे नाराज़ हो जाता था मैं ।
ऐसा भी कहा मुझे लोगो ने की तू है,बहुत नादान सा
पर है थोड़ा शैतान सा।
दोस्त थे मेरे औऱ है भी,
पर अब वो बात नहीं मुझमे कहते है ऐसा भी ,
पहले हर बात पे इकरार सा कर लेता था मैं ,
और अब लोगो से बेवजह लड़ने लगा हूँ मैं ।
पहले मैं भी मुस्कुराता था ,
पर अब बात बात पे लड़खड़ा जाता हूँ मैं ।
न जाने कहाँ चला गया वो लड़का,
जो रहता था थोड़ा सा भड़का ।
लोग शायद अकड़ू कहते थे ,
कहते थे कि सही है जैसा भी है...... सही है !
इतनी ख़ूबियाँ गिनाते थे ,
हाँ ।। इतनी ख़ूबियाँ गिनाते थे ,
आज वही लोग भर भर के ख़ामियाँ बताते
हाँ नहीं समझ आते वो मजाक ,
जिनकी वज़ह से मैं कर लेता था कभी बात ,
जो कभी बहुत हँसाते थे मुझे,
जो कभी भा जाते थे मुझे,
आज वहीं चुभ से जाते है मुझे ।
पता नहीं क्या सोच रहा मैं ,
पर जो भी सोच रहा, हाँ सोच रहा मैं ।
शायद ये पहले सोचना था, जो आज सोच रहा मैं ।
जो नहीं सुनी थी कभी, जो नहीं बोलते थे कभी
जिनके बारे में न सुना था कभी , जिनके बारे में न सोच था कभी ।
हाँ वही ,,हाँ आज वही सुना जाते है मुझे ।
कैसी ये सोच है ,कैसी ये नादानी है !
जो न सोचा कभी ,आज उसी की वजह से परेशानी है ।
डर जाता हूँ आज अकेले कभी कभी ,
अजीब से विचार भी आ जाते है तभी ,
भरोसा सा उठ जाता है ,
की क्या मैं हु वही लड़का !!!!
वही लड़का जो रहता था थोड़ा सा भड़का ।
समझ नहीं आता कि मैं बदल गया या वक़्त बदल गया !
समझ नहीं आता कि ये सब कैसे हो गया !
आज बोलने का मन नहीं करता , बस कोरे कागज का मतलब समझने लगा हूँ मैं
चलो बदल जाता हूँ मैं । चलो बदल जाता हूँ मैं ।
बस फर्क यही रह गया कि हज़ारो में से कुछ ही अल्फाजों को सुन पाता हूँ मैं
कुछ को ही समझ पाता हूँ कि,
चलो बदल जाता हूँ मैं।
हाँ मन नही करता , नही करता कि मुस्कुराऊँ
लगता है की मैं खुश न हो जाऊँ ,
की मैं फिर से न बदल जाऊ,
आलम ये है कि ,,
आज वही लड़का चुप सा हो गया, जो कभी खुश दिल था,
हाँ नहीं ज़ाहिर करा वो ,ये जहाँ लगी महफिल थी ।
महफ़िल में जाने से जरा कतरा जाता हूँ मैं,
चलो वक़्त के साथ एक बार, बस एक बार
चलो बदल जाता हूँ मैं।
गम नही होगा कि मैंने ये नही सोचा था,
गम नही होगा कि मुमकिन सा जो लगा वो सपना सच नही होगा।
अब लग रहा है चलो एक बार खुद से मिल के आता हूँ मैं,
चलो एक बार और, खुद के लिए सपने सजाता हूँ मैं।
चलो एक बार वक़्त की डोर खुद, के हाथ सम्हाल लेता हूँ मैं,
हाँ क्यों नहीं चलो एक बार ,खुद के लिए बदल जाता हूँ मैं।
