बचपन
बचपन
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सभी को बड़े होकर बचपन
बहुत याद आता है।
और बचपन गया ही क्यों?
यह सबको सताता है।
दूर तलब रवानियत इरादों की है,
और वो बचपन की कहानी अलबेले
मस्तानों की है।
दुख नहीं था, हैरानी नहीं थी
चिंता नहीं, परेशानी नहीं थी
और गर जो रूठा था मैं किसी से,
नहीं था मनाने का इंतजार।
वो बचपन था मेरे दोस्त, नहीं था
अभिमान औ अहंकार।
बचपन की कहानी चंद अल्फाजों
में समा गई ,
क्या था बचपन? यह जवानी सिखा गई।
कि जीते तो तब थे जब मालूम ही
नहीं था कि जीना क्या है?
लोगों की कीमत तब थी जब मालूम ही
नहीं कि कीमत क्या है?
आज तो बस मुंह उठाकर चले
जाया करते हैं, मेरे दोस्त
जाया तो तब करते थे जब मालूम ही
नहीं कि जाना कहां है?
सफलता की डगर मिल जाए मेरे दोस्त
बात अलख में जगाए रखना।
उम्र चाहे कितनी ही हो दिल को
एक बच्चा बनाए रखना।।
दिल को एक बच्चा बनाए रखना
