STORYMIRROR

Arpita Saxena

Others

2  

Arpita Saxena

Others

बचपन

बचपन

1 min
121

दबे पाँव से दौड़ कर नानी माँ से लिपट जाना

बहुत याद आता है,

वो खिलखिलाता हुआ बचपन

बहुत याद आता है।


हज़ार कहानियों के पिटारे को बुनकर 

बातें बनाना बहुत याद आता है,

वो गुनगुनाता हुआ बचपन,  

बहुत याद आता है।


वो छोटी -छोटी नोंक झोंक पर

पापा से रूठ जाना,

बहुत याद आता है।

वो मासूमियत भरा बचपन 

बहुत याद आता है।


माँ के उस कोमल स्पर्श से

हर दर्द का मिट जाना,

बहुत याद आता है।

वो निर्भयता से परिपूर्ण बचपन 

बहुत याद आता है।


नन्हीं - नन्हीं आँखों से वो झूठ मूठ के आँसुओं का बह जाना,

बहुत याद आता है।

वो अठखेलियों से भरा बचपन 

बहुत याद आता है।


खाना ना खाने के लिए वो बहाने बनाना 

बहुत याद आता है।

वो सुकून से लदा हुआ बचपन 

बहुत याद आता है।


"पढ़ाई करो" सुनकर वो मुँह का लटक जाना

बहुत याद आता है।

वो बेफिक्री से भरा बचपन 

बहुत याद आता है।


ज़िंदगी के इस पड़ाव पर

पहुँच कर भी वो गुज़रा ज़माना,

बहुत याद आता है।


हाँ..... वो भोला-भाला प्यारा सा,

बचपन बहुत याद आता है।

बहुत याद आता है।      

  


Rate this content
Log in

More hindi poem from Arpita Saxena