अनुभूति
अनुभूति
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अभी भी घर पर चिरैय्या आती तो होगी,
पंछी भी आते जाते तो होंगे,
ये क्या हुए हैं हालात आज कल ?
खून के सगे भी मिलते नहीं,
नहीं करते अपने सुख-दुःख को साझा,
केवल आभासी दुनिया ही परिवार है उनका।।
याद आता है बचपन का साथ,
मिलकर सोना, उठना, खाना और खेलना,
न कोई स्वार्थ, न कोई दुर्भाव।
यह कैसी और किसकी नज़र लग गयी है तुझे।
मेरे बचपन का प्यार क्या फिर वापस लौटकर आएगा
जीवन की इस संध्या में, क्या फिर मुझे गुदगुदाएगा ।।
