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sudhir chaturvedi

Others

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sudhir chaturvedi

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अनुभूति

अनुभूति

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अभी भी घर पर चिरैय्या आती तो होगी,

पंछी भी आते जाते तो होंगे,

ये क्या हुए हैं हालात आज कल ?

खून के सगे भी मिलते नहीं,

नहीं करते अपने सुख-दुःख को साझा,

केवल आभासी दुनिया ही परिवार है उनका।।


याद आता है बचपन का साथ, 

मिलकर सोना, उठना, खाना और खेलना,

न कोई स्वार्थ, न कोई दुर्भाव।

यह कैसी और किसकी नज़र लग गयी है तुझे।

मेरे बचपन का प्यार क्या फिर वापस लौटकर आएगा

जीवन की इस संध्या में, क्या फिर मुझे गुदगुदाएगा ।।


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