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sakshi agarwal

Others

5.0  

sakshi agarwal

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अनफोरगेटबल मेमोरीज़

अनफोरगेटबल मेमोरीज़

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तुम्हारी बहुत याद आती है

उन लम्हों को याद कर

आँखें नम होजाती है


वो दिन भी बड़े सुहाने थे

जब हम बाते किया करते थे

अब तो जैसे सब बदल सा गया

जो अपना था वो पराया हो गया


वो साथ की गई मस्तियाँ

और क्लास में ली गई सुस्तीयाँ

बात ना मान ने पर दी गई गालियाँ

साथ मिलकर सुलझाई गई

परेशानियाँ


वो रूठना, वो मनाना

वो चिल्लाना, वो बाहर जाना

एक दूसरे को छेड़ना

छोड़ कर जाने के लिए कहना

वो समझाना, वो सताना

वो गाने भेजना, वो मस्ती करना

सब याद आता है


और हर दिन की तरह यह सपना

सपना ही रह जाता है।


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