हसीन!
हसीन!
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दोजख भी हसीं लग सकती थी
गर जन्नतों में तेरी मौजूदगी न होती
और ये ख्वाहिशें सिर्फ एहसास ही रह सकती थी
गर सपनों में तेरा मिलना न होता।