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तारों से...

तारों से जड़े उस आकाश में एक अकेला चांद जगमगाता है, मुश्किलों में इंसान डगमगाता है, भला कांटो से क्यों घबराना क्योंकि एक अकेला गुलाब ही तो है जो कांटो में भी मुस्कुराता है, चाहे मसल कर क्यों ना फेक दो इसे फिर भी हाथों में एक सौरभ छोड़ जाता हैं।

By Ayushmati Sharma
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