तब और अब
तब और अब
कभी जिन पलों को जीने का मैं बेसब्री से इंतज़ार करता था
आज उन्ही पलों को अपने ज़हन से मिटाने की कोशिश कर रहा हूँ
कभी जिन ख़्वाबों को साकार करने के लिए सब कुछ करने को तैयार था
आज उन्ही ख़्वाबों को बुरा सपना समझ कर भुलाने की कोशिश कर रहा हूँ
कभी जिन यादों में हर समय खोए रहने का मन करता था
आज उन्ही यादों को भुलाने की कोशिश कर रहा हूँ
कभी जिन जगहों पर सारी उम्र गुज़ारना चाहता था
आज उन्ही जगहों पर दो पल से ज्यादा रुक पाने की कोशिश कर रहा हूँ
कभी जिन रास्तों पर चल कर सुकून मिला करता था
आज उन्ही रास्तों को नज़रअंदाज करने की कोशिश रहा हूँ
कुछ कम गम नहीं दिए है इस ज़ालिम ज़िन्दगी ने
पर फिर भी चेहरे पर हसी का झूठा मुखौटा लगा कर ज़िन्दगी जीने की कोशिश करता हूँ