युवा लेखिका, सामाजिक चिंतक, बेबाक एवं स्वतंत्र लेखिका
उस दिन एहसास हुआ कि ना तो हम हिंदी के ज्ञानी हैं ना ही अंग्रेज़ी के विद्वान। उस दिन एहसास हुआ कि ना तो हम हिंदी के ज्ञानी हैं ना ही अंग्रेज़ी के विद्वान।
वक़्त गुजरता जा रहा था और दोनों वह करने लगे जो दूसरे को पसन्द आता। वैसा खाना, वैसा पहनना, वैसे ही रहन... वक़्त गुजरता जा रहा था और दोनों वह करने लगे जो दूसरे को पसन्द आता। वैसा खाना, वैस...
जाने कब तक औरत सिर्फ आसिष में पुतो फलों का आशिष पायेगी ,वो दिन कब आएगा जब पुत्र नहीं संतान होना ही ग... जाने कब तक औरत सिर्फ आसिष में पुतो फलों का आशिष पायेगी ,वो दिन कब आएगा जब पुत्र ...