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ये ज़मीन भी नहीं, ये फलक भी नहीं तू कहाँ आ फंसा ये पता ही नहीं ये ज़मीन भी नहीं, ये फलक भी नहीं तू कहाँ आ फंसा ये पता ही नहीं
ठंडी हवाओ के लहराते झोंके नदिया के पानी में तन मन को धोके होठो पे खिली है एक नयी मुस्कान मै तो छ... ठंडी हवाओ के लहराते झोंके नदिया के पानी में तन मन को धोके होठो पे खिली है एक ...
इन रास्तों पे चलते चलते मैं खो जाती हूँ नींद आए या न आए मैं सो जाती हूँ। इन रास्तों पे चलते चलते मैं खो जाती हूँ नींद आए या न आए मैं सो जाती हूँ।