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वह चाहे अनगिनत कर ले जतन न हारा था ना हारेगा कभी अपना वतन। वह चाहे अनगिनत कर ले जतन न हारा था ना हारेगा कभी अपना वतन।
जीवन की यह अगणित तृष्णा प्रतिपल बढ़ती जाती है जन्म मिला है मानव का तब प्यास नहीं बुझ पाती है। जीवन की यह अगणित तृष्णा प्रतिपल बढ़ती जाती है जन्म मिला है मानव का तब प्यास नह...
हे वंशीधर ! वंशी तेरी, माँझी हर मंझधार का, धुन तू कोई जगा, जगत के सपनों के आधार का। हे वंशीधर ! वंशी तेरी, माँझी हर मंझधार का, धुन तू कोई जगा, जगत के सपनों के आधार...