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ठेकेदार दिवस ... बन के रह गया ...!! ठेकेदार दिवस ... बन के रह गया ...!!
राख भी हिस्से ना आई मेरी मिट्टी देकर...! राख भी हिस्से ना आई मेरी मिट्टी देकर...!
हवा के झोंके-सा जो, उड़ बहता रहता, उलझा-सा रहता, ओझल से दायरों में...! हवा के झोंके-सा जो, उड़ बहता रहता, उलझा-सा रहता, ओझल से दायरों में...!