मैं लेखनी के जरिये समाज सुधार करना चाहता हूँ, हर उस अन्याय का विरोध करना चाहता हूँ जिस पर समाज के लोग चुप्पी साधे हुए हैं।
तुम अपनी औकात। जोगीरा सारा रा रा रा.....। तुम अपनी औकात। जोगीरा सारा रा रा रा.....।
बाबासाहब ने दिया, संविधान-सा ग्रंथ। सीख दिया मिलके रहो, हो चाहे जो पंथ।। बाबासाहब ने दिया, संविधान-सा ग्रंथ। सीख दिया मिलके रहो, हो चाहे जो पंथ।।
इसको को न लजाइये, महाघोर यह पाप। बेटी घर भी आपके, इसे समझिये आप। इसको को न लजाइये, महाघोर यह पाप। बेटी घर भी आपके, इसे समझिये आप।