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इस तम की जकड़न से मुझको, आओ, अब तो आज़ाद करो। इस तम की जकड़न से मुझको, आओ, अब तो आज़ाद करो।
कब जाके सत्ता जागेगी, कबतक लेगी जान! मही का मैं हूँ ‘मान’ किसान। कब जाके सत्ता जागेगी, कबतक लेगी जान! मही का मैं हूँ ‘मान’ किसान।