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दिन-रात तन से चिपकाती सुन्दरता पर उसकी रीझती, साथ उसे मैं हर पल रखती, ऐ सखि साजन? न सखि साड़... दिन-रात तन से चिपकाती सुन्दरता पर उसकी रीझती, साथ उसे मैं हर पल रखती, ऐ...
रोज नहलाऊँगा ठंडे पानी से जी। रोज नहलाऊँगा ठंडे पानी से जी।
राहु केतु की दशा, का हो शायद उद्धार पत्नी जी के भाग से, बन जाये सरकार राहु केतु की दशा, का हो शायद उद्धार पत्नी जी के भाग से, बन जाये सरकार