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मिटती है वो शिकन और लेते हैं वो एक राहत भरी साँस... मिटती है वो शिकन और लेते हैं वो एक राहत भरी साँस...
जो मिले तुम तो तुम्हें ही लौटा दूँ इनको। जो मिले तुम तो तुम्हें ही लौटा दूँ इनको।
और अंत में थक हार कर फिर से वही सवाल कि ''क्या हो तुम?" और अंत में थक हार कर फिर से वही सवाल कि ''क्या हो तुम?"