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हे पंचतत्व तुमने अभी जिया ही कहाँ है, अमूल्य जीवन का रस पिया ही कहाँ है? हे पंचतत्व तुमने अभी जिया ही कहाँ है, अमूल्य जीवन का रस पिया ही कहाँ है?
रेगिस्तान की मरीचिका सी जिन्दगी , समझाती इस अंतर को कल , क्या खायेंगे कल क्या खाना है । रेगिस्तान की मरीचिका सी जिन्दगी , समझाती इस अंतर को कल , क्या खायेंगे कल क्या खा...
आज न जाने क्यों आँखों से नींद भी रुसवा कर गयी, उनके मंज़िल के आने की खबर धड़कनों हवा दे गयी आज न जाने क्यों आँखों से नींद भी रुसवा कर गयी, उनके मंज़िल के आने की खबर धड़कनों ...