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हसरतें भी अब हो चली हैं मायूस, क्या कहें हसरतें भी अब हो चली हैं मायूस, क्या कहें
निराला यादों को लपेटकर मैं खो जाता हूँ तुझको सोचता हूं और सोचता रह जाता हूं। निराला यादों को लपेटकर मैं खो जाता हूँ तुझको सोचता हूं और सोचता रह जाता हूं।
गुमाँ खुद पर हमने कभी किया नहीं अपनी माटी का सौदा कभी किया नहीं! गुमाँ खुद पर हमने कभी किया नहीं अपनी माटी का सौदा कभी किया नहीं!
बेचैन मन को कोई सहारा मिल जाए भंवर से भी कोई किनारा मिल जाए। बेचैन मन को कोई सहारा मिल जाए भंवर से भी कोई किनारा मिल जाए।