लेखक हूँ। कहानी, लघुकथा, लेख, आलेख, छंद, कविताएं आदि लिखता हूँ।
मालती के दिल-दिमाग से अपने पराए का भूत छूमंतर जो हो गया था। मालती के दिल-दिमाग से अपने पराए का भूत छूमंतर जो हो गया था।
कुछ नहीं बहू, चाय पीने की इच्छा हुई तो किचन में चला आया। कुछ नहीं बहू, चाय पीने की इच्छा हुई तो किचन में चला आया।