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काश! मेरी कलम कोई मुद्दा उठाती वो मुद्दा होता उन कलियों का! काश! मेरी कलम कोई मुद्दा उठाती वो मुद्दा होता उन कलियों का!
सोचें - क्यों आजकल कुछ पत्थर से हो गए हम? सोचें - क्यों आजकल कुछ पत्थर से हो गए हम?
आप खाना छोड़ उन्हें ही निगल गए? इतनी सुरंगें बनाई कि पहाड़ ही समतल हो गए l आप खाना छोड़ उन्हें ही निगल गए? इतनी सुरंगें बनाई कि पहाड़ ही समतल हो गए l