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हर औरत के दिल का हाले बयां हर औरत के दिल का हाले बयां
जीवन के रेगिस्तान में सब साथ छोड़ जाते हैं और रह जातें हैं हम अकेले जीवन के रेगिस्तान में सब साथ छोड़ जाते हैं और रह जातें हैं हम अकेले
बचपन की थी सखी सहेली बहना थी मुँह बोली जब से गाँव शहर को आया बची न सुंदर बोली बचपन की थी सखी सहेली बहना थी मुँह बोली जब से गाँव शहर को आया बची न सुंदर बोली
खुद तड़पती पर अपनी भावनाओं से घर आंगन सींचती स्त्री खुद तड़पती पर अपनी भावनाओं से घर आंगन सींचती स्त्री
गृहणियाँ घर का कम करते करते अपने मन में भावनाएं बुनती रहतीं हैं गृहणियाँ घर का कम करते करते अपने मन में भावनाएं बुनती रहतीं हैं