लेखिका हूँ, रिश्तों की! एहसासों को लिखती हूँ।
और तब तक जब तक कि इन्हें वास्तव में इस पीड़ा से मुक्ति ना मिल जाय। और तब तक जब तक कि इन्हें वास्तव में इस पीड़ा से मुक्ति ना मिल जाय।
उम्मीद है, मेरी वार्ता आपके समझ का हिस्सा बन गई होगी। उम्मीद है, मेरी वार्ता आपके समझ का हिस्सा बन गई होगी।
देश को तुम्हारी ज़रूरत है, मौन क्यों हो ? कुछ तो बोलो... जनता अपनी आखें खोलो...। देश को तुम्हारी ज़रूरत है, मौन क्यों हो ? कुछ तो बोलो... जनता अपनी आखें खोलो...।