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नारी के अपमान पे खल का मस्तक धड़ से अलग करो। नारी के अपमान पे खल का मस्तक धड़ से अलग करो।
माना है शेष समर अब भी पर देख जीत है समक्ष खड़ी। माना है शेष समर अब भी पर देख जीत है समक्ष खड़ी।
क्रंदन का वो हास रूप है मां का मीठा सा स्वरूप है वो है तो जीवन अनुरुप है। क्रंदन का वो हास रूप है मां का मीठा सा स्वरूप है वो है तो जीवन अनुरुप है।