बिगड़े हालात या फूटी क़िस्मत तंग बटुआ या फटी जेब कब सँवर जाए, कब निखर जाए कब खुल जाए , कब बन जाए न हम जानते है न तुम ये तो बस वो ही जानता है जिसके हाथो की कठपुतली है हम तुम
जिस देश में कन्या पूजी जाये अगर वहाँ हो ऐसी घटनाएं कि बेटी रोज़ बेपर्दा की जाएं तो वहाँ इंसान नही हैवान बसे है तुम मानो या न मानो, मगर हर गली, कूचे में शैतान खुलेआम हँसे है
सफलता का ऊँचा आसमान मेरी छोटी सी कोशिश और बौनी उड़ान चाहे कितना लम्बा हो सफ़र हौसलें से जीत लूँगी सारा जहान
"बचपनी दिमाग़" दिनभर शैतानिया सूझे हर बात अपने अंदाज में बूझे बचपनी दिमाग़ है सवालों का घर उम्मीदों का एक शहर जैसे कोई विधा महान ऐसा है बाल मनोविज्ञान
"बचपनी दिमाग़" दिनभर शैतानिया सूझे हर बात अपने अंदाज में बूझे बचपनी दिमाग़ है सवालों का घर उम्मीदों का एक शहर जैसे कोई विधा महान ऐसा है बाल मनोविज्ञान
"सरिता हूँ मैं" सर्र सर्र बहती, सरिता हूँ मैं आशाएं, और जीवन समेटे हूँ विशाल सागर है मेरी मंजिल वो ही ठिकाना, वो ही पता बस,इतनी है मेरी आत्मकथा
"मानव स्वयं का दुश्मन" हाथों में कुल्हाड़ी लिए वो हवा काटने जाता है मानव बना खुद का दुश्मन अनमोल खजाने गँवाता है दूषित किया जल, जहरीली की हवा विवेकहीन बन मानव ने किया प्रकृति पर अत्याचार.. अपने ही हाथो कर खुद का सत्यानाश, अब दोहराये आ बैल मुझे मार