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बिगड़े हालात...

बिगड़े हालात या फूटी क़िस्मत तंग बटुआ या फटी जेब कब सँवर जाए, कब निखर जाए कब खुल जाए , कब बन जाए न हम जानते है न तुम ये तो बस वो ही जानता है जिसके हाथो की कठपुतली है हम तुम

By Manpreet Makhija
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