कवियत्री,
कैदी सी बीत रही मेरी जिंदगी, रूह मुक्त होने को है बेकरार। कैदी सी बीत रही मेरी जिंदगी, रूह मुक्त होने को है बेकरार।
जिस्म मेरा मर्जी किसी और की, क्यों नहीं मेरा मुझ पर अधिकार। जिस्म मेरा मर्जी किसी और की, क्यों नहीं मेरा मुझ पर अधिकार।
चाय के प्याले के साथ कितने किस्से जुड़े हैं हमारी यादों के चाय के प्याले के साथ कितने किस्से जुड़े हैं हमारी यादों के