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तब भी क्या तुम ऐसे ही मौन पड़े रहते हो, निर्निमेष टकटकी बांधकर। तब भी क्या तुम ऐसे ही मौन पड़े रहते हो, निर्निमेष टकटकी बांधकर।
डोले हैं पीपल की शाखे, और माटी भी खामोश है। डोले हैं पीपल की शाखे, और माटी भी खामोश है।