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हिज्र जारी था और जारी है एक दुःख हर खुशी पे भारी है हिज्र जारी था और जारी है एक दुःख हर खुशी पे भारी है
कैसे समझाऊँ सुबह से मैंने पी नहीं रात की उतारी है। कैसे समझाऊँ सुबह से मैंने पी नहीं रात की उतारी है।