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पापा, आप छुट्टी लेकर तब ही आना जब हमारा पूरा कश्मीर आंतकियों से मुक्त हो जाए पापा, आप छुट्टी लेकर तब ही आना जब हमारा पूरा कश्मीर आंतकियों से मुक्त हो जाए
इस उपन्यास का लेखक एक विचाराधीन कैदी है, जो पिछले 15 वर्षों से एक जेल में बंद है और एक इस उपन्यास का लेखक एक विचाराधीन कैदी है, जो पिछले 15 वर्षों से एक जेल में बंद है...