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घड़ी भर में जी घबराता है गला सुख -सुख जाता है घड़ी भर में जी घबराता है गला सुख -सुख जाता है
वह आंचल से मुंह पोंछना और रोज सुबह मेरे साथ दौड़ लगाना याद आने लगा । वह आंचल से मुंह पोंछना और रोज सुबह मेरे साथ दौड़ लगाना याद आने लगा ।