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भोर हुई है जहाँ में फिर भी स्वप्न की निद्रा जकड़ चुकी है, रात चांदनी होती थी जब उसकी अब तक राह तके है... भोर हुई है जहाँ में फिर भी स्वप्न की निद्रा जकड़ चुकी है, रात चांदनी होती थी जब उ...
रह लेता हूँ मैं भी अकेला, जैसे रहती हो तुम भी खोई, ये बेपरवाही या और ही कुछ है, तुम तो अब नादाँ नहीं... रह लेता हूँ मैं भी अकेला, जैसे रहती हो तुम भी खोई, ये बेपरवाही या और ही कुछ है, ...