मैं सेवानिवृत्त प्राध्यापिका,( जवाहर नवोदय विद्यालय )एम ए हिंदी, संस्कृत, बी एड काव्य पठन पाठन और सृजन में रुचि।
उस गजल को उठाया लगाया गले, बना संस्मरण फिर मैं चल पड़ी।। उस गजल को उठाया लगाया गले, बना संस्मरण फिर मैं चल पड़ी।।
कोरोना काल में मैं घर में बंद रही... पढ़ती रही, पढाती रही... कोरोना काल में मैं घर में बंद रही... पढ़ती रही, पढाती रही...
कागज की महक , कागज का नशा अब रूठने को है। कागज की महक , कागज का नशा अब रूठने को है।
जब सतायी क्षुधा तुम निवाला बनी। मेरी भाषा नहीं राजभाषा हो तुम।। जब सतायी क्षुधा तुम निवाला बनी। मेरी भाषा नहीं राजभाषा हो तुम।।