अपने इर्द गिर्द घटती घटनाओं में घिर लेखनी उठने लगी और फिर लेखनी प्रिय सहेली बन गई।
कितना अच्छा होता, बादलों से ऊपर अपना घर होता। कितना अच्छा होता, बादलों से ऊपर अपना घर होता।
उंगली पर अब सभी को नचाता जो जाने राज वो मस्त हो गाता। उंगली पर अब सभी को नचाता जो जाने राज वो मस्त हो गाता।
अंधे बन हम दौड़ रहे कुछ पाने की होड़ में अंधे बन हम दौड़ रहे कुछ पाने की होड़ में