“जाएँ तो जाएँ किधर, मैं और मेरी आवारगी”
बस फिर उसकी गोद में सर रखकर मूंद लेता था मैं अपनी आँखें बस फिर उसकी गोद में सर रखकर मूंद लेता था मैं अपनी आँखें
अपने गांव, गांव के नीम के पेड़ और चाँद को केंद्र में रखकर एक व्यक्ति अपने जीवन के संस्मरण सुनाता हुआ अपने गांव, गांव के नीम के पेड़ और चाँद को केंद्र में रखकर एक व्यक्ति अपने जीवन के...