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कल्पनाओं के सागर से निकल... यथार्थ की जमीन पर कल्पनाओं के सागर से निकल... यथार्थ की जमीन पर
नारी घिसती रही एडियां सदियों तक अंक बराबर आने को! नारी घिसती रही एडियां सदियों तक अंक बराबर आने को!