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"प्रीत" की रीत यही है शायद, बिन बोले कह जाए दिल सब। "प्रीत" की रीत यही है शायद, बिन बोले कह जाए दिल सब।
इक रात नहीं, दस रात नहीं, न जाने कब से जागते हैं। इक रात नहीं, दस रात नहीं, न जाने कब से जागते हैं।