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छोड़ ही दे तू फिक्र को, जिले तू हर एक पल को। छोड़ ही दे तू फिक्र को, जिले तू हर एक पल को।
कागज़ की कश्ती थी, खेलने की मस्ती थी, दिल ये आवारा था तितली जैसा निराला था कागज़ की कश्ती थी, खेलने की मस्ती थी, दिल ये आवारा था तितली जैसा निराला था