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अब दीवारें भी पूजनीय है अब दीवारें भी पूजनीय है
मुद्दत हुई, मानवता कब्र में लेटी है इंसानी फितरत सुकूँ ढूँढ लेती है। मुद्दत हुई, मानवता कब्र में लेटी है इंसानी फितरत सुकूँ ढूँढ लेती है।
पड़ोस के जलते मकाँ कि आग अभी दूर है, अभी कहाँ ख़ाक हुआ है सब आग की गरमाहट से ज़रा पड़ोस के जलते मकाँ कि आग अभी दूर है, अभी कहाँ ख़ाक हुआ है सब आग की गरमा...