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कि हर पाठ तूने ही पढ़ाया है...! कि हर पाठ तूने ही पढ़ाया है...!
जितना भी था उसी में जश्न मनाया उसने बड़ी जिंदादिल उसकी फितरत निकली ! जितना भी था उसी में जश्न मनाया उसने बड़ी जिंदादिल उसकी फितरत निकली !
क्यूँँ खुद खेवैया है हम जब दूसरो पे पतवार है…! क्यूँँ खुद खेवैया है हम जब दूसरो पे पतवार है…!
हम सब में कहीं एक हिमांश होता तो है...। हम सब में कहीं एक हिमांश होता तो है...।