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वक़्त के कुतरे पंखों को काट आज कुछ मुस्कानें खरीद कर ही उड़ान भर लें वक़्त के कुतरे पंखों को काट आज कुछ मुस्कानें खरीद कर ही उड़ान भर लें
मेरी बिंदिया से ये गुफ़्तगू कर रही है कि शायद उदास हूँ मैं। मेरी बिंदिया से ये गुफ़्तगू कर रही है कि शायद उदास हूँ मैं।