Rajesh Chandrani Madanlal Jain
Literary General
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A Retired Engineer now turned a litterateur (Hindi). - राजेश, वारासिवनी (म.प्र.) नगर में 13 अगस्त 1960 को, माँ चंद्रानी जैन की गोद में जन्मे, पिता मदनलाल जी जैन के ज्येष्ठ पुत्र हैं। गणित में प्रवीण होने से आपने 1982 में अभियांत्रिकी महाविद्यालय जबलपुर से, बी.ई (इलेक्ट.) उपाधि प्राप्त की थी।... Read more

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आवश्यकता मात्र इतनी सी होती है कि उनसे हम अपनी अपेक्षाएं थोड़ी कम कर लें। तब वही परिजन, रिश्तेदार, मित्र एवं परिचित आदि, जिनसे शिकायतें रहीं होती हैं, उनसे हमें वे शिकायतें नहीं रह जाती हैं और उनके होने से हम स्वयं को धन्य अनुभव करने लगते हैं। rcmj

आवश्यकता मात्र इतनी सी होती है कि उनसे हम अपनी अपेक्षाएं थोड़ी कम कर लें। तब वही परिजन, रिश्तेदार, मित्र एवं परिचित आदि, जिनसे शिकायतें रहीं होती हैं, उनसे हमें वे शिकायतें नहीं रह जाती हैं और उनके होने से हम स्वयं को धन्य अनुभव करने लगते हैं। rcmj

इसलिए हम दूसरों के प्रति शिकायत रखते हैं क्योंकि दूसरों की हमसे शिकायतें भी होती हैं हम जानते नहीं गर हम जानते हमने भी उन्हें पीड़ा पहुँचाई है हम अपनी पीड़ाएं और शिकायतें भूल जाते rcmj

जिन्हें हम सामान्य बातें मानने लगते हैं, वे स्वतः ही हमारे आचरण एवं व्यवहार में आने लगती हैं। अतएव हमें किसी भी ऐसी जीवन शैली/दिनचर्या को सामान्य मानने के प्रति सतर्कता बरतना चाहिए, जो अन्य किसी और हमारे स्वयं के लिए हितकारी नहीं होती है। rcmj

किसी भी क्रिया का अच्छा लगना, उसके अच्छे होने से अलग हो सकता है। हमें वे कार्य, बात, विचार या भाव करना चाहिए - जो हमारे स्वास्थ्य, जीवन, हमारे परिवार, समाज, राष्ट्र और सम्पूर्ण मानवता के लिए अच्छे होते हैं। rcmj

यह प्राणियों के कर्म होते हैं, जो उसके भाग्य निर्माता होते हैं और ऐसे बने भाग्य से ही मनुष्य को आगे के कर्म करने की विवेक-बुद्धि मिलती है ... rcmj

मनुष्य का मौत को टालना या नहीं टाल पाना, उसके भाग्याधीन होता है तथा अपने चरित्र एवं स्वास्थ्य की रक्षा कर पाना, उसके कर्माधीन होता है rcmj

भेड़चाल में उलझने, फँसने या चलने से अच्छा, स्वयं हमें अपवाद बनना चाहिए। यह बिलकुल भी आवश्यक नहीं कि जिस पथ पर सब चल रहे हैं, वही पथ सबसे अच्छा होता है। अनेक अवसरों पर हमारा स्वयं निर्माण किया पथ श्रेष्ठ होता है। rcmj

लालच हम पर कभी इतना हावी नहीं होना चाहिए कि हम अपने दिए शब्द ही न निभा पाएं rcmj


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