मेरी भावनाएं ही पंक्तियों का सहारा है। कुछ रोज लिखने और सीखने की ललक लगी रहती है।
कड़ाई से ये जताने चले हैं। कोरोना को रोक देश बचाने चले हैं। कड़ाई से ये जताने चले हैं। कोरोना को रोक देश बचाने चले हैं।
जो रोक ले इसे प्रारंभ में ही तो बस्ते में सिर्फ भरा हो अभिमान। जो रोक ले इसे प्रारंभ में ही तो बस्ते में सिर्फ भरा हो अभिमान।