किसका करे है इंतज़ार तू किस पर करे है ऐतबार तू ये सफ़र और मंजिलें तेरे ख्वाबों की ताबीर सी हैं इन राहों को जुस्तजू तेरे जैसे तन्हा राहगीर से है तो फिर झिझक है किस बात की तू अकेला ही तो आया था यहाँ हाथ पकड़ अपने सायें का अकेला ही चलता चल..
किसका करे है इंतज़ार तू किस पर करे है ऐतबार तू य