राम की बदमाशियां :- भाग २
राम की बदमाशियां :- भाग २
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आज मैं लौटी हूं राम की नई शरारत के किस्से के साथ।आपको पिछले कहानी से यह तो पता लग ही गया होगा कि राम कितना शरारती और जिद्दी है। आज आप देखेंगे कि कैसे राम अपने इस स्वभाव के चलते मुसीबतों को दावत देता है।
राम अपने दोस्तों की टोली के साथ खेल रहा था।उसके दोस्त कुछ उसके उम्र से बड़े थे तो कुछ उसके उम्र के थे। उनमें से एक ने कहा,
" चलो दोस्तों आज हम साईकिल से सैर पर चलते हैं" सभी को उसका सुझाव पसंद आया पर राम ने मना कर दिया । सब उससे पूछने लगे "क्यों नहीं ? चलते हैं मज़ा आयेगा, तुम्हे क्यों नहीं जाना?" राम ने उन्हें बताया कि उससे साईकिल चलाना नहीं आता। राम की यह बात सुनते ही उसके सभी दोस्त उसपर हंसने लगे और उसका मजाक उड़ाने लगे। राम ठहरा जिद्दी और गुस्से वाला, इसलिए गुस्से में आकर उसने अपनी पिताजी कि साईकिल ली और दोस्तों से गुस्से में कहा कि ," मैं भी चलूंगा तुम्हारे साथ।"
राम के ऐसा कहते ही सब सैर पर निकल गए। उसने कह तो दिया कि में भी चलूंगा पर अंदर से सोच रहा था कि मैं कैसे चला पाऊंगा ये साईकिल? राम छोटा और साईकिल बड़ी थी, उसके पैर जमीन पर नहीं पहुँचते थे साईकिल पर बैठने के बाद। परन्तु कैसे भी राम ने अपना संतुलन बना लिया साईकिल पर जिद्दी जो ठहरा वो। कुछ देर सैर करने के बाद दोस्तों ने कहा "आगे चाय वाले के पास रुकते हैं।"अचानक तेजी से एक गाड़ी राम के बाजू से गई तो उसका संतुलन बिगड़ गया वह संभालने की कोशिश कर रहा था पर उसे साईकिल रोकना नहीं आता था। वह अपनी पूरी कोशिश कर रहा था, उसके सामने रास्ते के किनारे पर बैठ के एक बुजुर्ग नाई से अपनी बाल कटवा रहा था,राम तेजी से उसकी ओर बढ़ रहा था। अब आप सोच रहे होंगे कि उसने उस बुजुर्ग को ठोक दिया होगा पर ऐसा नहीं था। राम का पैर जमीन पर नहीं पहुंच रहा था इसलिए उसने उस बुजुर्ग के टकले पर पैर रख कर अपनी साईकिल रुका ली, और बच गया। पर अब बुजुर्ग बड़ी जोर से चिल्लाया ," कौन है यह?"
उसने राम को बहुत डांटा , नाई ने बताया की थोड़ा सा भी इधर उधर होता तो मेरे हाथ में ब्लेड और इन बुजुर्ग का गला ; कुछ अनहोनी होने से बच गया।
फिर राम घर चला गया, घर पर भी उसे बहुत डांट पड़ी। फिर पिताजी ने राम को साईकिल सिखा दिया।