खरा तो प्रेमा ना धरी लोभ मनी ॥ नभि जनहितरत भास्कर तापत विकसत पहा नलिनी ॥ खरा तो प्रेमा ना धरी लोभ मनी ॥ नभि जनहितरत भास्कर तापत विकसत पहा नलिनी ॥