क्या पछताए हिन्दीकहानी स्वभाव में रहो पूरा अस्तित्व स्वाभाविक है हमसे कर्म स्वभाव के अनुसार होत निष्प्रयोजन कार्य सहज बनाते प्रयोजन में भी निष्प्रयोजन

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