तोड़ रिश्ते तो हम भी सारे आए थे फिर कच्ची कहाँ डोर पड़ गयी वादा तो चांदनी का था अँधेरे का नहीं। तोड़ रिश्ते तो हम भी सारे आए थे फिर कच्ची कहाँ डोर पड़ गयी वादा तो चांदनी का था अँ...